Sanjeev Ratna Mishra

संजीव रत्न मिश्र विश्वनाथ मंदिर क्षेत्र के निवासी समाजिक कार्यकर्ता व पत्रकार है। ज्ञॉनवापी परिसर व मस्जिद को लेकर चल रहे मुकदमों के लिए स्व०पं. केदारनाथ व्यास (प्रबंधक व्यासपीठ व ज्ञॉनवापी हाता) ने अपना मुख्तारे आम नियुक्त किया था। रिश्ते में व्यास जी के दौहित्र है।

आज जब आधुनिक काल खंड की काशी के धार्मिक विरासतों

ना मैं विकास विरोधी हूँ ।ना ही आधुनिक विकासवादियों का विरोधी हूँ।मै अंधभक्त हूँ “अपने नाथ विश्वनाथ” का और उनसे जुड़ी परंपराओं का। मुझे अधिकार है विकासवादियों और उनसे जुड़े कर्णधारों से पूछने का कि काशी विश्वनाथ जी के पौराणिक स्वरूप और पंरपराओं के खंडित करने का जिम्मेदार कौन है ????? इतिहास में जब कभी […]Read More

काशी विश्वनाथ मंदिर के देवालयों की प्राचीनतम प्रतिमाओं को खंडित

बाबा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पंचआयतन स्वरूप देवालय की प्राण-प्रतिष्ठित माँ अन्नपूर्णा को खंडित करके विदेशी संग्रहालय मे रख्खी खंडित माँ अन्नपूर्णा की प्रतिमा का प्रतिष्ठा कराना धार्मिक व्यवस्था के खिलाफ हैं। आज सनातन धर्मावलंबियों के कथित ठेकेदारों में किसी को कोई चिंता नहीं है। सबसे अधिक दुःख उन धर्माधिकारियों से है जो संभवतः […]Read More

ज्ञॉनवापी मुद्दे पर जिस इतिहास के रथ पर चढ़ने का

“”माना की मेरा घर जमींदोज करने में तुम सफल हो गए ! हमारा मन्तव्य बीच में ही लड़खड़ा गया ! तुम्हारे जुल्मों के खिलाफ मैं अकेला हूं, मगर फैसला अभी कुरूक्षेत्र के मैदान में होगा ! देखते हैं मरता कौन है….!!””                                                                                                     &Read More

विश्वनाथ मंदिर कॉरिडोर योजना हिन्दुत्व के सैद्धांतिक मूल्यों के विपरीत

“विकास आज की आवश्यकता है, लेकिन विकास के नाम पर हिंदुत्ववादियों की सरकार में जिस तरह से काशी के धार्मिक और पौराणिक मान्यताओं वाले देवालयों और भवनों को नष्ट किया गया वो हिन्दुत्व के सैद्धांतिक मूल्यों के सामने विपरीत रहा है।” ————————————————————— जिस शहर का सांसद देश का प्रधानमंत्री और प्रदेश का मुख्यमंत्री स्वयं सन्यासी […]Read More

काशी को काशी रहने दो

एक वक्त था जब भारत की सांस्कृतिक विरासत के सामने दुनिया की शायद ही कोई सांस्कृतिक विरासत ठहर सकती थी। मगर इस देश को बाहरी आक्रमणकारियों की नजर ऐसी लगी कि धीरे-धीरे इसकी धार्मिक, सांस्कृतिक समृद्धि उनकी लूट-खसोट, उनके द्वारा फैलाये गये धार्मिक उन्माद और नफरत आदि की भेंट चढ़ती चली गई। नतीजा ये हुआ […]Read More