काशी विश्वनाथ मंदिर के देवालयों की प्राचीनतम प्रतिमाओं को खंडित करने के बाद अब स्वार्थ सिद्धी के लिये विदेश से लायी गयी खंडित प्रतिमा की होगी स्थापना—-

 काशी विश्वनाथ मंदिर के देवालयों की प्राचीनतम प्रतिमाओं को खंडित करने के बाद अब स्वार्थ सिद्धी के लिये विदेश से लायी गयी खंडित प्रतिमा की होगी स्थापना—-

बाबा श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पंचआयतन स्वरूप देवालय की प्राण-प्रतिष्ठित माँ अन्नपूर्णा को खंडित करके विदेशी संग्रहालय मे रख्खी खंडित माँ अन्नपूर्णा की प्रतिमा का प्रतिष्ठा कराना धार्मिक व्यवस्था के खिलाफ हैं। आज सनातन धर्मावलंबियों के कथित ठेकेदारों में किसी को कोई चिंता नहीं है। सबसे अधिक दुःख उन धर्माधिकारियों से है जो संभवतः अपनी संपत्तियों और स्वार्थ सिद्ध गद्दी बचाने के लिए, धर्म की राजधानी काशी में धर्म के विरुद्ध हो रहे इस कुकृत्यों पर सर्वथा मौन धारण किए हुए हैं।

काशी विश्वनाथ का पंचायतन स्वरुप

टूरिज़्म डिवेलपमेंट के नाम पर काशी विश्वनाथ कॉरिडर में जो बनाया गया उसमें ना सिर्फ़ भवन टूटे बल्कि परम्परा भी। विश्वनाथ मंदिर के स्वरूप को प्राचीन व्यवस्थानुसार मूल पंचआयतन स्वरूप के साथ काशीखण्डोक्त हटाऐ गए सभी देवालयों को प्राचीन मूल स्थान पर ही पुनः स्थापित करने की चर्चा बडी जोर शोर से हुई लेकिन सत्य के धरातल से कोसो दूर योजना को राजनितिक इच्छानुसार मुख्य मन्तव्य से भटकाने के लिए खंडित प्रतिमा के पुर्नस्थापना का स्वांग रचा गया है जो एक समय सिर्फ मनोरंजन का साधन ही रह जायगा।

माता अन्नपूर्णा के मंदिर का विध्वंस से पूर्व तथा उपरांत

“विकास आज की आवश्यकता है, लेकिन विकास के नाम पर हिन्दुत्ववादियों की सरकार मे जिस तरह से काशी के धार्मिक और पौराणिक मान्यताओं वाले देवालयों और भवनों को नष्ट किया गया वो हिन्दुत्व के सैद्धांतिक मूल्यों के एकदम विपरीत है।” जिस शहर का सांसद देश का प्रधानमंत्री और प्रदेश का मुख्यमंत्री स्वयं सन्यासी पीठाधीश हो उस प्रदेश के शहर में एक धार्मिक व्यवसायीक योजना के नाम धार्मिक और पौराणिक देवालयों के देवताओं और धार्मिक विरासत के विध्वंस की बात बेमानी लगतीं है, लेकिन ऐसा हुआ है।

माता अन्नपूर्णा मंदिर का मृत शिखर

जिस कट्टर हिन्दुत्व के लिए यूपी में गोरक्ष पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ जी की सरकार बनी उनके रहते काशी की आस्था के साथ अन्याय किया गया और दुष्प्रचार कर काशी के लोगों को महत्वहीन बताने की कोशिश की गई। देश-विदेश के लोगों को भ्रमित कर राजनितिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए काशी में “शस्त्र” और “शास्त्र” का विमोचन कर काशी को कलंकित करने का दुष्प्रचार किया। देश-विदेश सभी जगहों पर काशी और काशीवासियों को विकास विरोधी और ना जाने क्या-क्या प्रसारित और प्रसारित कर भावनाओं को आहत किया गया। कॉरिडोर में जितने भी मंदिर निकले उनकी सत्यता लोगो को कोसो दुर रख्खा गया और सेवा पुजा से लोगो को दुर कर दिया गया। विरोध करने वालों को विकासवादी दलाल कार्यकर्ताओं ने उन्हें झूठा बताते हुयें विकास और हिन्दुत्व विरोधी बताया जाने लगा। सबसे ज्यादा धर्म के गद्दार विकासवादी कार्यकर्ता हैं जिन्होंने अपने नेताओं का समर्थन किया और मन्दिर टूटने से बचाने वालों को गालियाँ दी।

माता अन्नपूर्णा मंदिर के विग्रह पर चढ़ कर सरिया मरता मजदुर जो कदाचित बंगाली मुसलामन है

दुखदाई है आधुनिक विकाश की जो नींव रखी जा रही है वही विकास विनाश का कारण बनेगी परिणाम के लिए तैयार रहे और याद रख्खे मुगलकाल में भी इसी तरह के चिन्दुत्व के कारण धार्मिक विरासत का परिवर्तन आसानी से हो गया होगा और उसका अंतराशय रूदन आज तक स्वार्थी धर्मानुरागी कर रहे है। “याद रक्खें वो…………वो 20% होके भी हिंदुत्व की डबल इंजन सरकार में भी अपना 2 फुट का चबूतरा बचा लेते हैं और हम 80% होके भी उसी हिंदूवादी सरकार में अपने पौराणिक मन्दिरों के विध्वंस पर स्वार्थपूर्ण राजनितिक इच्छानुकूल ताली बजातें हैं।”

Sanjeev Ratna Mishra

संजीव रत्न मिश्र विश्वनाथ मंदिर क्षेत्र के निवासी समाजिक कार्यकर्ता व पत्रकार है। ज्ञॉनवापी परिसर व मस्जिद को लेकर चल रहे मुकदमों के लिए स्व०पं. केदारनाथ व्यास (प्रबंधक व्यासपीठ व ज्ञॉनवापी हाता) ने अपना मुख्तारे आम नियुक्त किया था। रिश्ते में व्यास जी के दौहित्र है।

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